Wednesday, 5 December 2012

मेरी चूत में घुस गया

आज आपके साथ अपनी मस्ती की एक यादगार चुदाई की दास्तान बांटने आई हूँ। उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी।
आज की कहानी मेरी चूत को मिले तीसरे लण्ड की है जो ना चाहते हुए भी मेरी चूत में घुस गया। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती थी। पर जब जीजा का लण्ड मिला तो मैं और मेरी चूत दोनों ही जीजा की दीवानी हो गई और मैंने मेरे पति से बेवफाई कर डाली। अब तो सोते जागते जीजा और जीजा का मस्ताना लण्ड आँखों के सामने घूमता रहता। जीजा भी अक्सर फोन करके अपनी याद दिलवाता रहता था और मौका मिलते ही मेरी चूत की गर्मी को ठंडी करने आ जाता था। अब तो मैंने भी एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापिका की नौकरी कर ली थी क्यूंकि घर पर अब समय नहीं कटता था।
यह तब की बात है जब जीजा करीब दो महीने से नहीं आया मेरी चुदाई करने। जीजा को काम के सिलसिले में बाहर जाना पड़ गया था। तभी पतिदेव को भी अपने काम के सिलसिले में टूर पर जाना पड़ गया। अब मैं एक बार फिर अकेली थी घर पर। उस दिन भी मैं हर रोज की तरह स्कूल में गई थी पर जाते ही ना जाने क्या हुआ और मेरी तबीयत खराब हो गई और मुझे छुट्टी लेकर वापिस घर आना पड़ा।
स्कूल का ही एक अध्यापक मुझे मेरे घर छोड़ने आया। वो मुझे दवाई दे कर वापिस चला गया। तबीयत खराब होने से मैं अगले दो तीन दिन स्कूल नहीं जा सकी तो वो ही अध्यापक जिसका नाम अजय था मेरे घर मेरा हालचाल पूछने आया।
मैं अजय के बारे में बता दूँ वो एक हट्टा-कट्टा नौजवान था। देखने में भी मस्त। मेरे ही स्कूल की एक दूसरी अध्यापिका के साथ उसका आँख मटक्का चल रहा था। मुझे पता था की वो दोनों चुदाई का भरपूर मज़ा ले चुके थे। एक बार जब मैंने उस अध्यापिका जिसका नाम सुमन था को कुरेदा तो उसने मुझे सब कुछ बता दिया था कि कैसे अजय ने उसे चोदा और जब यह भी बताया कि अजय का लण्ड बहुत मस्त लंबा और मोटा है तो मेरी तो चूत गीली हो गई थी सुन कर।
अब पिछले दो महीने से अच्छे से चुदाई नहीं हुई थी तो मेरा मन भी अजय की तरफ झुकने लगा था। चूत की गर्मी बढ़ने लगी थी। जब बुखार हुआ तो दो तीन दिन पलंग पर पड़े पड़े बोर हो गई। उस दिन जब अजय मेरा हालचाल पूछने आया तो मेरा दिल बेचैन हो उठा उस के कसरती बदन से अपने बदन की मालिश करवाने को। पर शर्म भी तो कोई चीज है यार। मैं शर्म के मारे कुछ नहीं बोल सकती थी। बस उसके कुछ करने का इंतज़ार करना पड़ रहा था।
अजय ने भी ज्यादा देर इंतज़ार नहीं करवाया। आते ही मेरा हालचाल पूछा और फिर पहले मेरे माथे को छू कर देखा फिर मेरा हाथ पकड़ कर बुखार देखा।
उसके स्पर्श से मेरे बदन में झुरझुरी सी आई जिसे वो भांप गया था। एक बार जो उसने हाथ पकड़ा तो छोड़ा ही नहीं और मेरे हाथ को अपने हाथ में लिए लिए ही बातें करता रहा। उसका यह सब करना मुझे अच्छा लग रहा था।
उस दिन शुक्रवार का दिन था। बातों बातों में सुमन के साथ अजय के सम्बन्ध की बात चल निकली तो अजय ने जो बोला वो मेरा दिल हिलाने के लिए काफी था।
अजय बोला- यार सुमन तो मेरे पीछे पड़ी है, नहीं तो मैं तो किसी और का दीवाना हूँ।
"कौन है वो?" मैंने उत्सुक होते हुए पूछा।
"बस है कोई.. !" अजय ने मेरी उत्सुकता को बढ़ाते हुए कहा।
मैंने अजय के हाथ को दबाते हुए दुबारा जोर दे कर पूछा- प्लीज अजय, बताओ ना.. कौन है वो?
अजय ने रहस्य बढ़ाते हुए कहा- यार है कोई। पर वो शादीशुदा है तो हिम्मत नहीं होती उसको अपने दिल की बात कहने की।
शादीशुदा शब्द सुनते है मेरे दिल की धड़कन और बढ़ गई।
"फिर भी बताओ तो कौन है वो?" मैंने बेचैनी दिखाते हुए अजय को पूछा तो वो बोला- कल बताऊँगा।
मैं आगे कुछ ना कह सकी। अजय थोड़ी देर और मेरे पास बैठा और फिर चला गया।
एक तो अकेलापन और उस पर अजय की बातें। मेरी तो दिल की धड़कनें बढ़ गई थी। उस रात मैं सो नहीं सकी। सोचते सोचते ही रात गुजर गई कि आखिर अजय की वो शादीशुदा पसंद कौन है। कही वो मैं तो नहीं।
और फिर सुबह हो गई यही सब सोचते सोचते। अब तो बस अगले दिन अजय के आने का इंतज़ार था।
अजय स्कूल खत्म होने के बाद सीधा मेरे घर आ गया। मेरी तबीयत आज ठीक थी पर जैसे ही मैंने अजय के अपने घर के बाहर देखा मैं जाकर बेड पर लेट गई। अजय ने दरवाजा खटखटाया तो मैंने आवाज देकर उसको अंदर बुला लिया। वो सीधा मेरे बेडरूम में आ गया। मेरे सिरहाने के पास बैठ कर उसने मेरे माथे को छुआ और फिर पिछले दिन की तरह ही मेरा हाथ पकड़ कर मेरा कुशलक्षेम पूछने लगा।
मैं तो कब से इस पल का इंतज़ार कर रही थी। बात शुरू होते ही मैंने पिछले दिन वाली बात शुरू कर दी और पूछा- आज बताओ उस शादीशुदा के बारे में।
पहले तो अजय ने हंस कर बात टालने की कोशिश की पर जब मैंने जोर देकर पूछा और थोड़ा नाराज होने का नाटक किया तो अजय ने जो बोला, मेरा दिल तो धाड़ धाड़ बजने लगा।
"शालू, तुम बहुत नादान हो। मेरे दिल की बात समझ में नहीं आ रही तुम्हें?"
"क्या...?"
"आई लव यू शालू..."
"यह तुम क्या कह रहे हो। मैं शादीशुदा हूँ अजय। मेरी अपनी जिंदगी है"
"शालू तुम जो भी कहो पर जो सच था मैंने तुम्हें बता दिया है, अब फैसला तुम्हारा है।"
मैं अब उठ कर बैठ गई थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
"पर मैं...." इस से आगे मेरे मुँह से आवाज नहीं निकल पाई क्यूंकि अजय ने मेरे होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया था। मैंने हल्का सा विरोध किया पर अजय तब तक मुझे अपनी मजबूत बाहों में जकड़ चुका था। इन बाहों में आने के लिए तो मैं पहले से ही तड़प रही थी।
मैं तो जैसे खो गई अजय की बाहों में। उसके इस चुम्बन में मेरे तन मन दोनों को हिला दिया था। मेरे अपने हाथ भी अपने आप अजय के बालों को सहलाने लगे। अजय समझ चुका था कि अब मैं उसके बस में हूँ। उसके हाथ भी अब हरकत में आने लगे थे और अब मैं उसके हाथ को अपनी चूचियों पर महसूस कर रही थी। उसने मेरी चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाना और मसलना शुरू कर दिया था।
मेरी आँखें भारी होने लगी थी। चूत से पानी निकलने लगा था। पैंटी गीली हो गई थी। अजय के हाथ अब मेरे ब्लाउज के हुक खोलने की कोशिश कर रहे थे और एक दो हुक खोलने में तो कामयाब भी हो गए थे। तभी मैंने अजय को पीछे धकेल दिया और अपनी साँसों को दुरुस्त करने की कोशिश की। मेरी साँसें बहुत तेज चल रही थी।
अजय ने मुझे दुबारा अपनी बाहों में भरना चाहा तो मैंने उसको रोक दिया।
"नहीं अजय। यह सब ठीक नहीं है। मैं शादीशुदा हूँ और ..."
मेरी बात एक बार फिर से अधूरी रह गई और अजय ने दुबारा थोड़ी जबरदस्ती करते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। अगले ही पल अजय के हाथ मेरे बदन के कपड़े कम करने लगे। पहले ब्लाउज, फिर ब्रा।
मेरी मस्त चूचियाँ नंगी देख कर तो अजय बेकाबू हो गया और मेरी चूचियों के चूचक मुँह में लेकर चूसने लगा। वो बीच बीच में चूचक को दांतों से हल्का हल्का काट रहा था। मेरी चूचियों के चूचक तन कर खड़े हो गए थे और अजय को उनको दांतों से काटना मेरे बदन की गर्मी को और बढ़ा रहा था।
बदन मस्ती से भरता जा रहा था और मेरा हाथ भी अब अपने मतलब की चीज खोज रहा था और मैंने अजय की पेंट खोल कर उसके अंदर बैठा मस्त कलंदर अपने हाथ में पकड़ लिया था। करीब 8-9 इंच का मोटा सा लण्ड हाथ में आते ही मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। मेरी समझ में आ रहा था कि आज मेरी चूत बहुत दिनों के बाद एक मस्त चुदाई का मज़ा लेने वाली है।
अजय कुछ देर के लिए रुका और इस बीच हम दोनों ने जल्दी से एक दूसरे को नंगा कर दिया। अजय मेरा नंगा बदन देख कर मदहोश हो चुका था और लगभग यही हाल मेरा भी था अजय का मस्त लण्ड देख कर।
अजय ने मुझे बिस्तर पर लेटाया और मेरे बदन को चूमने लगा। उसने मेरे बदन के हर अंग को अपनी जीभ से चाटा और चूमा। फिर वो मेरी जांघों के बीच में खो गया और मैंने उसकी जीभ अपनी चूत के दाने पर महसूस की। यही वो पल था जब मैं अपनी उतेजना को काबू में नहीं रख पाई और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। अजय की जीभ मेरे सारे रस को चाट गई।
अजय उठ कर मेरे मुँह की तरफ आया तो मैं समझ गई कि अजय क्या चाहता है। अजय ने अपना लण्ड मेरे होंठों से लगाया तो मैंने भी उसको अपने मुँह में लेने में देर नहीं की। अगले करीब पांच मिनट तक मैंने अजय के लण्ड को लोलीपॉप की तरह मस्त होकर चूसा।
अब मेरी चूत लण्ड लेने के लिए बेचैन हो उठी थी। मैंने लण्ड मुँह में से निकाला तो अजय जैसे समझ गया कि उसे आगे क्या करना है। अजय ने अब मेरी टाँगे ऊपर की और मेरी चूत के मुँह पर अपना मोटा और गर्म गर्म सुपारा रख दिया। चूत पूरी गीली हो चुकी थी तो जैसे ही अजय ने थोड़ा सा दबाव दिया तो लण्ड चूत में सरकता चला गया। अजय का लण्ड कमान की तरह मुड़ा हुआ था इसीलिए वो चूत की दिवार को पूरा रगड़ता हुआ अंदर जा रहा था।
लण्ड पूरा अंदर जाते ही अजय ने जबरदस्त धक्को के साथ मेरी चूत चोदनी शुरू कर दी। बहुत मस्त और तेज तेज धक्के लगा रहा था अजय।
मेरी सिसकारियाँ और आहें गूंजने लगी थी कमरे में !
"आह्ह... चोद दो मुझे... फाड़ दो मेरी...ओह्ह्ह जोर से चोद डालो..." मैं अब चिल्ला चिल्ला कर अपनी गांड उठा उठा कर अजय का लण्ड चूत में ले रही थी। मैं तो अजय का लण्ड चूत में लेकर मस्त हो गई थी। अजय भी पूरा मुस्टंडा था खूब हुमच्च हुमच्च कर चोद रहा था मुझे। वो पूरा लण्ड अंदर डाल डाल कर मेरी चुदाई कर रहा था। चूत से पानी की नदी सी बह निकली थी। खूब पानी छोड़ रही थी मेरी चूत।
कुछ देर की चुदाई के बाद अजय ने मुझे कुतिया बनाया और पीछे से मेरी चूत में लण्ड घुसा दिया। मैं सीत्कार उठी। लण्ड पूरी चूत को रगड़ता हुआ अंदर तक समां गया था। अब अजय ने एक हाथ से मेरी चूची को और दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़ा और पूरी गति से, पूरे जोश के साथ मेरी चुदाई करने लगा। अब तक मैं दो बार झड चुकी थी पर अजय था कि अभी तक लोहे का लण्ड पेल रहा था मेरी चूत में। गर्म गर्म लोहे की तरह अकड़ा हुआ लण्ड भरपूर मज़ा दे रहा था।
करीब पन्द्रह मिनट की चुदाई के बाद अजय का बदन अकड़ा और फिर अजय के लण्ड से गर्म गर्म वीर्य का फव्वारा जो चला तो मेरी चूत लबालब भर गई। अजय मेरे ऊपर ही लेट गया। अजय का ऐसे लेटना मुझे बहुत अच्छा लगा।
करीब दस मिनट अजय उठा तो मैंने उसका लण्ड और अपनी चूत पास पड़े मेरे पेटीकोट से साफ़ की। अजय ने मुझे फिर से बाहों में भर लिया और मेरे होंठो को चूसने लगा। बुखार के कारण मुझे कमजोरी महसूस हो रही थी पर अजय की चुदाई ने शरीर में तरावट सी ला दी थी।
कुछ देर के बाद मेरा दिल फिर से चुदवाने को हुआ तो मैं अजय के लण्ड को पकड़ कर सहलाने लगी। अजय भी मेरे बालों को सहलाने लगा। अजय का लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था तो मैंने उसको अपने होंठो में दबा लिया और फिर पूरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद अजय का लण्ड अकड कर फिर से सर तान कर खड़ा हो गया। अब मैंने अजय को उठने का मौका नहीं दिया और खुद ही उठ कर उसके लण्ड को अपनी चूत पर सेट करके बैठ गई। लण्ड चूत में ऐसे घुस गया जैसे खरबूजे में छुरी घुस जाती है।
लण्ड के अंदर जाते ही मैं गांड उठा उठा कर लण्ड पर मारने लगी। अजय भी नीचे से हर धक्के का जवाब दे रहा था। सच में बहुत मज़ा आ रहा था। इतना मज़ा कि लिख कर बताना मुश्किल है। पांच मिनट के बाद मेरी चूत का बाँध टूट गया और मैं झर गई।
झरने के बाद मैं थोड़ी सुस्त हुई तो अजय ने मुझे अपने नीचे लिया और फिर से एक जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी। फिर तो पूरे आधे घंटे तक अजय मुझे चोदता रहा और मैं चुदती रही। मुझे तो यह भी नहीं पता कि मैं कितनी बार झड़ी। आधे घंटे बाद अजय ने एक बार फिर से मेरी चूत अपने गर्म गर्म वीर्य से भर दी।
दो बार चुदाई के बाद हम दोनों थक गए थे। कब नींद आई पता ही नहीं लगा। करीब दो अढ़ाई घंटे के बाद आँख खुली तो अजय अब भी गहरी नींद सो रहा था।
मैंने उठ कर चाय बनाई और फिर अजय को उठाया। चाय पीने के बाद अजय जाने लगा तो मेरा दिल बेचैन होने लगा। मेरे पति रात को नहीं आने वाले थे तो मैंने अजय को रात को रुकने के लिए कहा। अजय तो जैसे यही सुनने को बैठा था। वो रुक गया और फिर तो उस रात और अगले दिन और फिर अगली रात जो चुदाई हुई है मेरी चूत की कि चूत निहाल हो गई।
अजय मेरा दीवाना हो गया था और फिर अगले छ: सात महीने तक जब तक मैं उस स्कूल में अध्यापिका रही अजय ने मेरी भरपूर चुदाई की। आज भी जब चूत में चुदाई का कीड़ा कुलबुलाता है तो अजय की भी याद आती है।

अब मुझे चोदो

मुझे एक मेल मिला जो लुधियाना से था। उसमें लिखा था- मैं सोनिया हूँ, उम्र 28 साल। मुझे आपका रेफरेंस जसप्रीत ने दिया है। मुझे आपसे कुछ काम है।
मैंने लिखा- ठीक है, कहिये? उसने लिखा- ऐसे नहीं! आप मुझे अपना नंबर दीजिये!
मैंने अपना नंबर उसे दिया। उसने मुझे रात को करीब 11 बजे फ़ोन किया। कहने लगी- मुझे आपकी हेल्प चाहिए। मेरे पति सेल्स मैनेजर हैं। अक्सर घर से बाहर रहते हैं। महीने में 3-4 दिन ही घर में होते हैं। मुझे आपकी जरुरत है। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?
मैंने कहा- ठीक है, कहाँ मिलना है? किसी होटल में या कहीं और?
सोनिया ने कहा- होटल ठीक नहीं रहेगा। आप मेरे घर पर आ जाते तो अच्छा होता।
मैंने कहा- और घर के लोगों को क्या बोलोगी आप?
सोनिया में कहा- उसकी फिक्र आप छोड़ दो। मेरे घर में मैं और मेरी बेटी, जो अभी सिर्फ चार साल की है, और कोई नहीं है।
मैंने कहा- ठीक है, कब आना है?
उसने कहा- कल शाम को आ जाओ।
मैं शाम को करीब सात बजे उसके बताये पते पर पहुँच गया और वहाँ जाकर मैंने सोनिया को फ़ोन किया। सोनिया ने कहा- बस दो मिनट रुको। मैं आपके सामने मॉल में हुँ। अभी आती हुँ।
फ़ोन में बात करते करते ही वो मॉल के बाहर आ गई तो मैं समझ गया कि यही सोनिया है।
मैंने हाथ से इशारा किया। वो मेरे पास आई और हाथ मिलाया। फिर हम दोनों उसके घर गये।
घर में कोई नहीं था। मैंने पूछा- आपकी बेटी कहाँ है?
वो कहने लगी- मैंने आज उसे मम्मी के पास छोड़ दिया।
वो बोली- आप क्या लोगे ठंडा या गर्म?
मैंने कहा- नहीं, कुछ नहीं। शुक्रिया।
वो मेरे लिए ठंडा ले आई, साथ बैठ कर बात करने लगी। सोनिया ने पूछा- आप जसप्रीत को कैसे जानते हो?
मैंने कहा- दोस्त है मेरी !
फिर मैंने सोनिया से पूछा- तुम कैसे जानती हो जसप्रीत को?
तो वो बोलने लगी- मेरी भी सहेली है। बहुत बातें होती हैं नेट पर हमारी। एक दिन बात करते करते मैंने अपनी परेशानी जसप्रीत को बताई तो वो बोली कि एक तरीका है मेरे पास। और उसने आपका ईमेल दे दिया।
मैंने सोनिया से पूछा- क्या इससे पहले भी आपने कॉल बॉय को कभी बुलाया है?
तो उसने कहा- नहीं यार! वैसे मैं अपने पति से संतुष्ट हूँ। पर क्या करूँ? वो अक्सर बाहर ही रहते हैं तो आपको बुलाना पड़ा। अगर वो घर में रहते तो मुझे आपकी जरूरत ही नहीं पड़ती।
मैंने कहा- ओके ओके।
सोनिया कहने लगी- वैसे एक दो लड़के हैं जो मुझ पे फ़िदा हैं पर ये सब मोहल्ले में करना अच्छा नहीं है। आजकल के लड़कों का क्या। किसी-किसी को बता सकते हैं। इसलिए मैंने आपको सही समझ कर बुलाया।
सोनिया सांवले रंग की थी पर नैन-नक्श बहुत अच्छे थे। उसकी छाती 36 की होगी, कमर 32 की और चूतड़ 36 के।
मस्त औरत थी! बातें करते करते सोनिया कभी-कभी मेरी जांघ पर हाथ फेर देती।
फिर मैंने कहा- सोनिया, अन्दर चलते हैं।
सोनिया ने कहा- अभी नहीं, रुको। मैंने खाने का आर्डर दिया है। ना जाने कब जा जाये वो। फिर मूड ख़राब हो जाएगा।
मैं और सोनिया टीवी देखने लगे। स्टार मूवी पर एक इंग्लिश मूवी आ रही थी। उसने चुम्बन का दृश्य था। वो देख पर सोनिया अपने जज्बात खोने लगी। मुझे किस करने लगी।
अचानक दरवाजे की घण्टी बजी। खाना लेकर आया एक जवान बंदा था। वो खाना दे कर चला गया।
फिर सोनिया ने कहा- हैरी आओ, पहले डिनर कर लेते हैं।
मुझे भी जोर की भूख लगी थी, सोनिया ने खाना लगाया और खाने लगे।
थोड़ी देर बाद सोनिया कहा- हैरी चलो, बेडरूम में चलते हैं।
सोनिया अलमारी से अपनी नाईट सूट निकाल कर पहनने लगी। सोनिया ने अपना कमीज और सलवार उतार दिया। उफ़ क्या मस्त चूचियाँ थी।
सोनिया पर काली रंग की ब्रा क़यामत लग रही थी। मैं सोनिया के पास गया और उसके ब्रा के ऊपर से ही सोनिया के वक्ष दबाने लगा। सोनिया ने ब्रा भी खोल दी। कच्छी में आ गई और कहा- तुम भी अपने कपड़े उतार दो। पूरे नंगे हो जाओ।
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। सिर्फ कच्छा रह गया था। मैं धीरे धीरे सोनिया के स्तन चूसने लगा। सोनिया हाय-उफ़ करने लगी। धीरे धीरे मैंने सोनिया की कच्छी में हाथ डाला तो उसकी चूत गीली हो गई थी। मै सोनिया को चूम कर रहा था, कभी उसके गोल गोल चूचे चूस रहा था जिससे वो पूरे जोश में आ गई थी। सोनिया ने अचानक कहा- हैरी, मुझे तुम्हारा 'वो' चूसना है।
मैंने अपना लंड सोनिया के होठों पर रख दिया। क्या नर्म-नर्म होंठ थे सोनिया के! मैं बता नहीं सकता आप को।
मैंने उससे कहा- सोनिया, क्या तुम अपने पति का चूसती हो?
सोनिया ने कहा- हाँ, आपको नहीं मालूम। मैं बहुत अच्छा लंड चूसती हुँ, मेरे पति बोलते हैं कि तुम बहुत अच्छा चूसती हो।
सोनिया मेरे लंड को जोर जोर से चूस रही थी जैसे कोई आइसक्रीम चूसता है। वाकई में सोनिया बहुत अच्छा लंड चूस रही थी। मुझे लगा कि मैं उसके मुँह में ही गिर जाऊँगा।
मैंने कहा- बस करो सोनिया !
मैंने धीरे से उसकी पैंटी को नीचे सरका दिया और उसकी चूत में उंगली डालने लगा।
सोनिया पूरे जोश में आ रही थी, मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखा और जोर से चूत चाटने लगा। गीली चूत चाटने का मजा की कुछ और था, नमकीन सा स्वाद था। सोनिया भी पूरे जोर से चूत मेरे मुँह पर दबा रही थी। वो मजे से आहें भर रही थी। मैं उसकी चूत चाट रहा था वो आई ईई आह ई उई कर रही थी। उसने मेरे सर को जोर से दबा रखा था अपनी चूत पर।
फिर वो बोली- बस करो, अब मुझे चोदो।
मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और लंड घुसा दिया उसकी चूत में। उसने थोड़ा सा उई किया और पूरा लंड चूत में समां गया।
मैं होले होले धक्के लगा रहा था। सोनिया अब नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी। उसको मजा आने लगा।
सोनिया ने कहा- तुम नीचे आओ, मैं ऊपर आती हूँ।
सोनिया मेरे ऊपर आ गई और लंड को अपनी चूत में घुसा कर जोर जोर से चुदने लगी। उसे मजा आ रहा था और जोर जोर से चुद रही थी, मैं भी नीचे से अपने लंड की रफ़्तार को तेज रखे हुए था। सोनिया ऐसे करते करते झर गई और मेरे ऊपर गिर गई।
मैंने कहा- बस?
सोनिया ने कहा- मुझे पहली बार में खुद ही चुद कर पानी गिराने में मजा आता है। दूसरे दौर में और भी तरीकों से करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं सोनिया के कबूतर लगातार दबा रहा था और उसे चूम रहा था। मैंने सोनिया की चूत पर फिर से जीभ लगा दी। उसकी चूत से निकला पानी अभी भी उसकी जांघों में लग कर नीचे बह रहा था। मैंने उसे अपनी जीभ से साफ़ किया और फिर से उसकी चूत चाटने लगा।
सोनिया अब जोश में आ गई थी, मैं उसकी चूत के दाने को बार बार काट लेता जिससे वो उईईईईईए करने लगती।
अब वो जोश में आ गई थी और आईईई उई ईए उफ्फ कर रही थी। जैसे जैसे मैं उसकी चूत को चाटता, वो मस्ती भरी सिसकारी लेने लगती और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में सटा लेती। सोनिया अब फ़िर कहने लगी- हैरी, मुझे लंड चूसना है।
हम 69 की दशा में हो गए। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उसकी चूत को। जैसे मैं उसकी चूत में जीभ करता, वो मेरे लंड को जोर से काट लेती। ऐसे लगता कि जैसे खा जाएगी।
थोड़ी देर बाद सोनिया ने कहा- बस करो, अब चोदो मुझे।
मैंने भी देरी न करते हुए सोनिया से पूछा- कैसे चुदवाओगी अब?
वो गांड मेरी तरफ करके बेड पर हो गई कुतिया की तरह।
मैं समझ गया, मैंने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और धक्के लगाने लगा। वो उई ईए आई ईई हई ईई करने लगी और अपनी चूत मेरे लंड पर जोर जोर से मारने लगी। सोनिया ने कहा- हैरी, तुम थोड़ा रुक जाओ, मैं खुद चुदती हूँ। सोनिया जोर जोर से मेरे लंड पर अपनी कमर चलाने लगी।फिर सोनिया ने कहा- चलो मेज के पास चलते हैं।
सोनिया ने अपनी एक टांग मेज पर रख दी और एक नीचे, मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी चूत में लंड डाल दिया और चोदने लगा। सोनिया बहुत अच्छे से चुदवा रही थी और मजे ले रही थी। मैं पीछे से कभी कभी उसकीमोटी मोटी चूचियाँ भी मसल देता जिससे वो और भी मजे से चुद रही थी। फिर सोनिया मेज पर ही लेट गई और कहने लगी- तुम नीचे खड़े होकर चोदो।
मैं भी नीचे खड़ा होकर उसे चोदने लगा, वो मजे से आई ईए उई हाय करती जा रही थी पर झरने का नाम नहीं ले रही थी।
फिर वो वापस मुझे बेडरूम में ले गई और कहा- बस हैरी, आओ मेरे ऊपर चढ़ जाओ और चोदो। अब मैं झरना चाहती हूँ।
मैंने फिर से उसकी टाँगे ऊपर कर दी और जोर जोर से उसे पेलने लगा। उसकी चूत से फच फच की आवाज आ रही थी और वो नीचे से कमर हिलाए जा रही थी जोर जोर से।
अब लग रहा था कि मैं भी झर जाऊँगा। मैंने भी अपने धक्के तेज कर दिए और नीचे से सोनिया ने मुझे जोर से जकड़ लिया अपनी बाहों में और वो झरने लगी। मैं भी अंतिम कगार पर था। आखिरी 8-10 धक्के मारे और झर गया।
लेट गए और थोड़ी देर बाद हम दोनों बाथरूम में फ्रेश होकर आ गये और सो गए। रात को नींद खुली तो देखा- सोनिया मेरे लंड से खेल रही थी। मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। सोनिया ने ढेर सारा तेल मेरे लंड पर लगाया और अपनी गांड पर भी और मेरे लंड पर बैठ गई और अपनी गांड मरवाने लगी कूद-कूद कर ! उछल- उछल कर वो अपनी गांड मेरे लंड पर दे मार रही थी मेरी भी आह निकली जा रही थी उसके धक्कों से।
ऐसे उसने करीब दस मिनट किया और थक कर लेट गई। कहने लगी- अब तुम मारो मेरी गांड।
मैंने नीचे एक तकिया रखा जिससे उसकी गांड ऊपर उठ गई, बिल्कुल लाल दिख रही थी उसकी गांड।
मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया और पेलने लगा जोर जोर से और उसकी चूत के दाने को भी मसलने लगा जिससे वो झर सके। बीस मिनट बाद वो झर गई और मैं भी साथ ही झर गया।
मैंने सोनिया से कहा- सोनिया, तुम गांड भी मरवाती हो? ये कैसे?
सोनिया ने कहा- मेरे पति बहुत अच्छे से मुझे चोदते हैं और मैं भी उन्हें पूरा पत्नी-सुख देती हूँ। वो जो कहते हैं, मैं तैयार हो जाती हूँ। हम लोग खुल कर चुदाई करते हैं और इसमें क्या शर्म। औरत का एक एक अंग कामुक होता है। फिर क्या हुआ अगर गांड मारने का दिल पति को करे और पत्नी दे दे तो। मैं अपने पति से गांड भी मरवाती हूँ और अच्छे से चुदवाती हूँ। क्या पता कल हो न हो।
मुझे सोनिया की बातें अच्छी लगी, वो मॉडर्न जमाने की सोच वाली औरत है। फिर हम सो गए, सुबह मुझे जल्दी जाना था, मैं जल्दी उठा और सोनिया से कहा- मैं जा रहा हूँ।
सोनिया ने मुझे पकड़ लिया और कहा- आओ, एक बार और हो जाए।
मैंने कहा- नहीं।
पर उसने कहा- कोई बात नहीं जल्दी जल्दी कर लेते हैं।
मैंने सोनिया की जल्दी जल्दी चूत मारी और फ्रेश होकर जाने लगा तो उसने मेरी फीस मुझे दी। बाय करके मुझे विदा किया !

Monday, 3 December 2012

चूत में डाल दी

एक बार इन्दौर तक के सफ़र का वाकया मुझे भुलाये नहीं भूलता। काफी भीड़ भरी बस में मैं सवार था। मुझे बैठने की जगह मुश्किल से मिली थी। बस ज्यों ही रवाना हुई, भीड़ में से एक महिला मेरी सीट की बगल में आकर खड़ी हो गई। बस के कुछ देर चलने के बाद वो महिल मेरे कंधो के पास सट गई। उसके मांसल नितम्ब मेरे कंधों से दब रहे थे। भीड़ वाली बसों में यह तो आम बात थी।
पर कुछ देर में उसके नितम्बों के बीच की दरार में मेरा कंधा घुसने सा लगा।
मैंने तिरछी नजरों से उस महिला को देखा।
अरे ! यह मेरे घर के सामने वाली आण्टी थी जो मुझे रोज घूर घूर कर देखा करती
 थी। शायद मुझे पर लाईन मारती थी। उसके इस तरह देखने के कारण मैंने भी उससे जान करके आँखें मिलानी शुरू कर दी थी। मैं उससे निकटता पाने की आस में रहता था।
उसकी इस हरकत के कारण मेरा लण्ड सख्त होने लगा था। मैं भी अब जानकर उसके चूतड़ों के बीच में अपना कंधा रगड़ने की कोशिश करने लगा था। पर डर था कि कहीं वो नाराज ना हो जाये। पर शायद उसे आनन्द आने लगा था। वो हौले हौले से अपनी गाण्ड मेरे कंधे से रगड़ने लगी थी। तभी एक धक्का लगा और वो मेरे ऊपर गिर सी पड़ी।
ओह्ह सॉरी! मुझे देख कर वो मुस्कराई।
अरे आण्टी आप! आप खड़ी क्यों हैं? आइए, बैठ जाइए।
मैं खड़ा हो गया और मैंने आण्टी को अपनी सीट पर बैठा दिया। कुछ देर तक तो मैं सीधे खड़ा रहा। पर शरारत मेरे मन में भी जागने लगी। मैंने अपना लण्ड धीरे से उसके कन्धों से लगा दिया। मेरे लण्ड का स्पर्श पाते ही वो सतर्क हो गई। उसने मेरी स्वीकृति पाने के लिये मेरे लण्ड पर हल्का सा दबाव डाला। मेरा लण्ड एक बार फिर से कठोर होने लगा। उसे मेरे लण्ड के कड़ेपन का अहसास होने लगा था।
बस में अंधेरा था। उसका मैंने फ़ायदा उठाया और अपने लण्ड को धीरे से उसके कंधों पर गड़ा दिया। उसने मुझे घूर कर देखा। फिर उसकी सतर्क निगाहें उसकी चारों ओर घूम गई। सभी झपकियाँ ले रहे थे। उसने हाथ बढ़ा कर मेरे ट्राउजर की जिप खोली, चड्ढी से में से मेरा लण्ड निकाला और अपनी मुट्ठी में थाम लिया। मेरा पूरा शरीर सनसनी से भर गया। मेरे लण्ड को उसने धीरे से धीरे दबाना चालू कर दिया। मेरे लण्ड में झुरझुरी छूटने लग गई।
अब उसने हौले हौले से मेरे लण्ड को घिसना शुरू कर दिया। मैंने एक बार इधर-उधर देखा। सभी को नींद में ऊंघते पाकर मैं निश्चिन्त हो गया। उसने लण्ड पर मुठ्ठ मारना आरम्भ कर दिया था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। शरीर तड़प सा गया था। बहुत देर तक ये कार्य चलता रहा। तभी मेरा शरीर अकड़ने सा लगा। मेरा वीर्य निकलने ही वाला था। मैंने उसका कन्धा दबा कर इशारा किया। उसने अपना मुँह घुमा कर मेरे लण्ड को अपने मुख में ले लिया। फिर हल्की सी मुठ्ठ से ही मेरा वीर्य निकल पड़ा। धीरे धीरे पिचकारियों के रूप में मेरा पूरा वीर्य स्खलित हो गया। वो शान्ति से मेरा वीर्य शहद समझ कर पी गई।
उसने साड़ी के पल्लू से अपना मुख साफ़ किया और सीधे बैठ गई।
इतनी देर में मेरी टांगें कांपने लगी थी। तभी दूर रोशनी नजर आने लगी थी। समय देखा, नौ बज रहे थे। अभी तो एक-डेढ़ घन्टा बाकी था इन्दौर आने में। शहर में गाड़ी आ चुकी थी। मैंने झांक कर देखा। चमचमाती हुई लाईटें। चमकते हुए साइन-बोर्ड। चौड़ी चौड़ी सी सड़कें। फिर एक भीड़-भाड़ वाले इलाके में आकर बस रुक गई। बस ने सवारी उतारी और फिर आगे बढ़ गई।
भैया, अब आप बैठ जाइए। थक गये होंगे।
थेन्क्स आण्टी जी!
मैं वाकई थक गया था। मैं बैठ गया और आण्टी फिर से मेरे कंधे पर अपने चूतड़ों को फ़िट करके मस्ताने लगी। मैंने उसकी गाण्ड को दबाया तो उसने मुझे मुस्करा कर देखा। मेरा इशारा वो समझ गई और मुस्करा कर उसने अपनी चूत मेरे कंधे से चिपका दी।
उफ़्फ़! क्या मोहक चूत का उभार था! उसके फ़ूले हुए लब मेरे कंधो से रगड़ खाने लगे थे। उसकी जांघों की सपाट दीवारें और उभरे हुए चूत के लब मेरे दिल को लुभा रहे थे। बस मुख्य रास्ते पर आ गई थी तो गाड़ी की बत्तियाँ फिर से बन्द हो चुकी थी। यात्री गण फिर से ऊंघने लगे थे।
मैंने मौका पाकर साड़ी के नीचे से हाथ डाल दिया। आण्टी ने अपना पल्लू मेरे आगे गिरा दिया ताकि उनकी उठी हुई साड़ी किसी को नजर ना आ जाये। मेरा हाथ उनकी चिकनी जांघों को सहला रहा था। मक्खन सी चिकनी जांघें... हाथ पीछे डाला तो गोल-गोल उभरे हुए चूतड़। मैंने जी भर कर उन्हें खूब दबाया। मुझे लगा कि आण्टी की सांसें भी अनियंत्रित हो रही थी।
मैंने धीरे से उनकी गाण्ड में अंगुली डाल दी और गुदगुदाने लगा। अब तो वो खुद ही अपनी टांगें फ़ैला कर मस्ती ले रही थी।
फिर बारी आई आण्टी की मस्त चूत की। मेरे हाथ आगे की ओर सरक आये। वो सीधी खड़ी हो गई। मैंने धीरे से उनकी चिकनी उभरी हुई चूत पर अपनी अंगुलियों को घुमाया। उसके मुख से एक धीमी सी सिसकारी निकल गई। तभी चूत में अंगुली घुमाते हुये मुझे एक कड़े से दाने का अहसास हुआ। ओह्ह तो यह दाना है।
मैंने उसे हल्के से सहला दिया और अपनी अंगुली से उसे धीरे से दबा भी दिया।
मुझे लगा कि आण्टी आनन्द से सिमट सी रही थी।
तभी आण्टी का एक हाथ मेरे हाथ पर आ गया और वो मेरी अंगुली को अपनी चूत में घुसाने का इशारा करने लगी। मैंने अंगुली को इधर उधर सरका कर पानी से भीगे हुये छेद को टटोल लिया। उफ़्फ़ कसा सा चिकना छेद जल्द ही महसूस हो गया और मैंने हल्के से उस पर जोर लगाया। मेरी अंगुली उस छेद में अन्दर सरक गई।
उईईई ... फिर वो एकदम से चुप हो गई। गनीमत थी कि किसी ने सुना नहीं।
मैं कुछ समय तक तो अंगुली बस डाले रहा ... सब कुछ सामान्य सा देख कर मैंने अपनी अन्दर उसकी चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। उसकी सांसें तेज हो गई थी। तभी वो नीचे झुकी और उसने मेरे होंठ चूम लिये। मैं हड़बड़ा सा गया।
कितनी बेशरम है ये आण्टी। कोई देख लेता तो?
अब आण्टी भी अपनी चूत को हिला हिला कर आनन्द ले रही थी। मेरी अंगुली को वो गहराई में लेना चाह रही थी। मैंने उसकी इच्छा जानकर एक की जगह दो दो अंगुलियाँ चूत में डाल दी और गहराई तक उन्हें घुसा घुसा कर आण्टी को मस्त करने लगा।
कुछ ही देर में आण्टी झड़ गई। उन्हें जैसे ही होश आया, उन्होंने इधर-उधर जल्दी जल्दी देखा और फिर एक निश्चिन्तता की गहरी सांस ली।
उन्होंने मुझे इशारा किया कि उन्हें भी बैठने के लिये थोड़ा स्थान दे दे।
मैंने सरक कर उन्हें जरा सा चूतड़ रखने लायक स्थान दे दिया। वो आधी तो मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी। अपने नर्म-नर्म नितम्बों से मुझे उत्तेजित कर रही थी।
तभी बस की लाईटें जल उठीं। शायद इन्दौर आ चुका था। समय देखा तो सवा दस बज रहे थे...
तभी बीच में कविता ने चुपके एक कागज मेरी मुठ्ठी में थमा दिया। उसमें आण्टी के मोबाईल नम्बर थे। मैंने उसे यूँ ही चुप से जेब में रख लिया।
बस स्टैण्ड आ गया था। हम सभी ने एक टेम्पो ले लिया और घर की तरफ़ चल पड़े।

Wonder Girl!

AN OPEN LETTER TO BILL GATES (Mr. Okello did it again)

TO: Bill Gates, Microsoft
FROM: A Fresh User.



SUBJECT: Problems With My New Computer.

Dear Mr. Bill Gates,


We have bought a computer for our home and we have found some problems, which I want to bring to your notice.

1. There is a 'START' button but there is no 'STOP' button. We request you to check this.

2. One doubt is whether any 'RESCOOTER' is available in system? I find only 'RECYCLE' but I own a scooter at home.

3. There is 'FIND' button but it is not working. My wife lost the door key and we've tried a lot to trace that with this button. But were unable to trace it. Please rectify this problem.

4. My child learnt 'MICROSOFT WORD' now he wants to learn 'MICROSOFT SENTENCE'. So, please tell me when will u provide that?

5. There's MICROSOFT OFFICE, what about MICROSOFT HOME? Remember, I use the PC at home.

6. I bought computer, CPU, mouse& keyboard, but there is only one icon which shows 'MY COMPUTER', when will u provide for the remaining items?

7. Last one Mr. Bill Gates- Sir, why is it that your name is Gates you sell only WINDOWS?

Regards,
Okello p